इतिहास रचने को बेकरार महाकुंभ का शहर
26 जनवरी 1950 का दिन उत्सव मनाने का था। देश में हर्ष और उल्लास का वातावरण था। चहुंओर शान से तिरंगा लहरा रहा था। खुले और शांत वातावरण में आजादी के बाद संविधान का हक जो इस दिन मिला था। आज, कल और परसों शान से तिरंगा इस दिन लहराता रहेगा। निश्चित रूप से यह दिन देश और दुनिया के इतिहास में ऐतिहासिक रहा।
लेकिन 21वीं सदी में महाकुंभ भी इतिहास लिखने जा रहा है। 26 जनवरी को जहां देश में तिरंगा आन-बान और शान से लहरा रहा होगा, ठीक उसी समय हरिद्वार में महाकुंभ का विधिवत आगाज होगा।
तीर्थनगरी की धरती पर तीन अखाड़ों की धर्मध्वजाएं लगाई जाएंगी, जो एक अद्भुत संयोग है। राष्ट्र और धर्म का यह अनूठा मिश्रण ऐतिहासिक होगा। इस दिन से महाकुंभ का विधिवत आगाज भी हो जाएगा। अखाड़ों में तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं।
देश 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रंग में देश रंगा होगा, लेकिन तीर्थनगरी गणतंत्र दिवस के साथ ही महाकुंभ का पावन पर्व का आगाज भी कर रही होगी। 26 जनवरी को जूना, अग्नि और आह्वान तीनों अखाड़े की धर्मध्वजा भी इसी दिन लगाई जाएगी। देश में राष्ट्र और धर्म का यह बेजोड़ मेल होगा। वातावरण में जहां देश भक्ति के गीत से हम शहीदों को नमन करेंगे वहीं अखाड़े की धर्मध्वजाओं में पूजा-पाठ होगा।