A CONSERVATION BETWEEN RAWAT JI AND BISHT JI ON CAPITAL ISSUE OF UTARAKHAND
हमारे इस वार्तालाप के काल्पनिक पात्र बिष्ट जी एव रावत जी है! आज का विषय है पहाड़ की राजधानी पर रावत जी और बिष्ट जी के बीच यह वार्ता !
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१. बिष्ट जी : रावत जी आज उत्तराखंड राज्य को बने लगभग ९ साल हो गए है, लेकिन वहां पर विकास उतना नहीं हुवा है जितनी की आशा की जा रही थी !
कुमाऊनी : रावत जीयु, आज हमर उत्तराखंड राज्य कै बनी लगभग ९ साल है गयी पर वांक विकास उद्दी ना भय जदी लोगो ले आश करी रैछी !
गढ़वाली -रोतजी आज हमारा उत्तराखंड बनिक त्तें नौ साल ह्वेगीन, पर यख विकास यथ्गा नि हवे,जथ्गा कि आशा थै!
रावत जी : बिष्ट जी बिलकुल सही कह रहे है, मेरे गाव मे तो अभी तक बिजली भी नहीं पहुची है, सड़क तो दूर की बात है !
कुमाऊनी : बिष्ट जीयु, बिलकुल सही कूँन रैछा तुमि, म्यर गौ मा तो आजि तक बिजली ले ना पूजी रैए सड़क तो दूर क बात छो !
गढ़वाली -बिष्ट जी बिलकुल सही बात छ म्यारा गों माँ ता बिजली भी नि पोंछी सड़क ता दुरु की बात छ !
बिष्ट जी : क्या करे रावत जी, क्या होगा इस राज्य का भगवान् ही जाने ! एक महतवपूर्ण विषय है उत्तराखंड राज्य के स्थाई राजधानी का, जिसका की अभी तक समाधान नही हो पाया है !
कुमाऊनी : कि करी हो रावत जीयु, यो राज्य क की होल भगवान् ही जाणो! एक खास विषय छो उत्तराखंड राज्य क स्थाई राजधानी क, जैसे आज तक ले समाधान नी है पाय !
गढ़वाली-क्यकन रोत जी क्या होलू राज्य कु भगवान् ही जाणदू होलू,पर याक विषय छ उत्तराखंड की राजधानी कु,जैकू की अभी तक क्वी समाधान जी व्ही!
रावत जी : बिष्ट जी निसंदेह यह एक बहुत ही गंभीर एव महतवपूर्ण विषय है आखिर जिस पहाड़ के विकास के लिए लोगो ने राज्य बनाने के लिए अपनी शहादत दी थी उनको सपनो का राज्य अभी तक नहीं बन पाया! उत्तराखंड राज्य के संघर्ष के दौरान से ही गैरसैण उत्तराखंड की राजधानी तय थी, लेकिन राज्य बनाने के बाद देहरादून को अस्थायी राजधानी घोषित किया गया और गैरसैण को बाद मे राजधानी बनाने के लिए कहा गया ! जिसके लिए बाद dixit आयोग बनाया गया! जिससे उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजधानी बनाने के लिए रिपोर्ट देने को कहा गया ! जिस दंग से इस आयोग का समय ११ बार बढाया गया उससे स्पस्ट है की इसमें राजनीती की गयी है और लोगो के भावनाओ और राज्य के विकास के साथ एक षडयंत्र रचा गया है !
कुमाऊनी : बिष्ट जीयु, यो बात मे बिलकुल ले संदेह नि छू और यो बहुत गंभीर एव महत्वपूर्ण विषय छो ! आखिर जो पहाड़ क विकास क लीजी लोगो राज्य बनूँन मी आपुन शहादत दी, उनार स्वीण क राज्य अब तक नी बन पाय !उत्तराखंड राज्य क संगर्ष क दौरान बटी गैरसैण उत्तराखंड राज्य क राजधानी तय छिई, लेकिन राज्य बनन क बाद देहरादून अस्थायी राजधानी घोषित कर दी गयी और गैरसैण का बाद मे राजधानी बनूँन क लीजी केई गयी ! जैक बाद मा, एक दीक्षित आयोग का गठन कर दी गयी और वीके केई गयी उत्तराखंड राज्य का राजधानी बनूँन लीजी आपुन रिपोर्ट दियो ! लेकिन जो दंग ले यो आयोग का समय ११ बार बडाई गयी, वील स्पस्ट छि कि यामी कोई राजनीति चाल चहिये और लोग ना क भावनाओं और राज्य के विकास लीजी एक चाल चली राखो !
गढ़वाली- बिष्ट जी यु ता याक भोत गंभीर विषय छ,आखिर कार जै पहाड़ी राज्य बनोनक लोगोन अफरी सहादत दिनी ,वोंकू सपिनो कु राज्य अभी तक नि बणी,जब बीटी उत्तराखंड आन्दोलन चली तब बीटी उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण तय ह्वेगी थै,पर राज्य बैना का बाद अस्थाई राजधानी देराद्वान घोषित करी दिनी,बाद मा गैरसैण तैं राजधानी बनोनाक तैं बोली दिनी,जैका बाद दिक्सित आयोग बानाएगी,जेमा की उत्तराखंड राज्य अस्थाई राजधानी बानोनेकी रिपोट दयानक ब्वालेगी ,जै ढंग सि आयोग कु टैम ग्यारा बार बढायेगी,तै सी स्पस्ट छ की ये मा क्वी राजनीति छ और लोगुकी भाव्वना और उत्तराखंड का विकास दगडी चाल चलेगी!
बिष्ट जी : बिलकुल सही रावत जी, लेकिन हमें राजधानी को गैरसैण बनाने के लिए संघर्ष जारी रखना होगा !
कुमाऊनी : बिलकुल सही रावत जीयु, लेकिन हमींन कै राजधानी गैरसैण बनूँन लीजी संघर्ष जारी रखन होल ![/color][/b]
गढ़वाली-बिलकुल सही बात छ रोत जी पर हमू तैं गैरसैण राजधानी बनों़क तैं सघर्ष जारी रखन पडालू !