Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 44149 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
August 31 at 9:48pm ·

एक पट्टदार शैली पर एक नया प्रयोग इस प्रेम गीत मे आपको उतराखंड सभी लोक नृत्य का जिक्र किया है और सभी लोक नृत्य नायिका के मन मे नाच रहे है

मेरु घर गुदड़या लाटू सच्चु मेरु सौंजडया
त्वै देखी मेरा दिल मा नचण लगगी थडया
खिलगी खिलगी दिल मा फुला
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी चौफला
बैखो कु भीड़ तमासु मेला मा तू यखुला
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी झुमैला
गौकी हैरी भरी नाज सारी
त्वै देखी मेरा मन मा नचण गाण लगगी चांचरी
चमकदू सुना चाँदी
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी तांदी
छोरा तेरी हैसी मुलमुल
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी हारुल
चाँद तारा आगासो
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी रासो
फुल खिली कांडो
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी पण्डो
तू मेरु हीरा मोती
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी छोपती
बारात लेकी ऐजा घोड़ा
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी झोड़ा
जगदु आखंड जोत दिया
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी छोलिया...................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
August 31 at 9:48pm ·

एक पट्टदार शैली पर एक नया प्रयोग इस प्रेम गीत मे आपको उतराखंड सभी लोक नृत्य का जिक्र किया है और सभी लोक नृत्य नायिका के मन मे नाच रहे है

मेरु घर गुदड़या लाटू सच्चु मेरु सौंजडया
त्वै देखी मेरा दिल मा नचण लगगी थडया
खिलगी खिलगी दिल मा फुला
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी चौफला
बैखो कु भीड़ तमासु मेला मा तू यखुला
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी झुमैला
गौकी हैरी भरी नाज सारी
त्वै देखी मेरा मन मा नचण गाण लगगी चांचरी
चमकदू सुना चाँदी
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी तांदी
छोरा तेरी हैसी मुलमुल
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी हारुल
चाँद तारा आगासो
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी रासो
फुल खिली कांडो
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी पण्डो
तू मेरु हीरा मोती
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी छोपती
बारात लेकी ऐजा घोड़ा
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी झोड़ा
जगदु आखंड जोत दिया
त्वै देखी मेरा मन मा नचण लगगी छोलिया...................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
August 30 at 11:19pm · Edited ·

न विकू जनान्यु सी भेष छौ
न विकू जनान्यु सी लम्बू केश छौ
फिर भि लुग बोल्दन विकी
जनान्यु सी मेस च
लोग बोल्दा त
कुछ न कुछ
बात त होली
सैद विकी चाल ढाल
छवी जनान्यु सी हो
कत्गा छुयाल लोग त
इन्न बी बोल्दा
जनान्यु सी पोर च
अगर विकी जनान्यु
वल्ली मेस पर
इत्गा शोर च
कुछ न कुछ
बात छेयी च
लोग सुधि कैकु
मखोल नि बणादा................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi


सुरुक ऐली सुरुक जैली
भग्यानो तै दिखली
आंदा जांदा बाटो मा
वा रूप वल्ली
मल्ली या तल्ली
कख बिटि फैली
या कुंगली लगुली
दुदी भाती सी म्येली
खटै सी त्येली
वा रूप वल्ली
वि देखी बजदी दिल मा
छणमण छणमण थकुली
कब दैणी ह्वैकी दिखली
अंखियु का सैंदिष्ट
वा रूप वल्ली
सुरुक ऐली सुरुक जैली
भग्यानो तै दिखली
आंदा जांदा बाटो मा
वा रूप वल्ली.................शैलेन्द्र जोशी

फोटो क्लिक ..........शैलेन्द्रजोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
September 4 at 8:48am · Edited ·

मेरी औठंडियो न्युतायलि त्वैकु
बँसुली बणि ऐजा छोरी धोरा
मेरा जिकुडा लुकी माया की धुन
बनबनी अनेक तू ऐजा बस छोरी
गुंजलि बंसुली माया की फिर
चौ दिसू डांडी कांठी तू ऐजा बस छोरी
बँसुली बणि मेरी औठंडियो धोरा
पिरेम भौ बन्यु रौ सदा इन्न
मेरु तेरा परति
समझ कतामती
मी लोला मायादार की तू ऐजा बस .................शैलेन्द्र जोशी

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आज उतराखंडी फिल्म तरीका कुसुम चौहान जी और भगवान चंद जी लघु फिल्म देखी हिमालयन न्यूज़ पर उनके शानदार अभिनय और मार्मिक विषय को देख ये कविता तैयार हो गयी है
घाम मा जनानो की छु लगणी च हे दीदी
दिल्ली ब्वारी दिल्ली मा खप सक्दीन
अगर मजबूरी मा उत्तराखंड ऐगिन त
दिल्ली का ही गीत गांदीन
वी फर कैकु अड़ायु नि लगदु
बस गिच्चा एक छवी चा
मम्मीजी iam वर्किंग वोमन
मि आप जनु बैकवर्ड नि छो
अपणा अगने पिछने
सब्भु तै गवाणया समझदिन
अफु तै इत्गा मोर्डेन समझदिन
कबि किटी पार्टी त कभि ब्यूटीपार्लर खुटी रंदीन
स्येंदी दा बि लिपस्टिक पतोडी स्येदीन
म्येरा छोरा तै बि उत्तराखंड मा आकाल छो पडियु
ज्यू ब्वारी निहोणया दिल्ली मा खुजे
चला फण्डफुका दीदी भूलियो हौर छवी लांदा
दिल्ली ब्वारियु तै दिल्ली छोड़ा
अर घाम तापा ..............................................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
September 11 at 4:12am ·

दाल मैंगी चौल सस्तु
इन्नी बक्की बात
हूँण राली
वू दिन दूर नि अब
दाल भात से दूर हवे जाली................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
September 10 at 11:57pm · Edited ·

सात का सप्तक

सात समुद्र है
लवण इछु आज्य दधि स्वादु मधु
सात पर्वत
महेंद्र सह्याद्री मलय शुक्तिमान ऋक्षवान विन्ध्य पारियात्र
सात ऋषि
कश्यप अत्रि भारद्वाज गौतम यमदग्नि विश्वमित्र
सात दीप
जम्बू प्लक्ष शाल्मल कुश क्रौंच शाक पुष्कर
सात वन
दंडकारण्य खंडारण्य चंपकारण्य वेदारण्य नैमिशारण्य धर्मारण्य अभयारण्य
सातभुवन
भू भुव स्व मह जन तप सत्यम
सात वार
सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि रवि
सात स्वर
षडज ऋषभ गंधार मध्यम पंचम धैवत निषाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
September 9 at 11:59pm ·

सुरुक ऐली सुरुक जैली
भग्यानो तै दिखली
आंदा जांदा बाटो मा
वा रूप वल्ली
मल्ली या तल्ली
कख बिटि फैली
या कुंगली लगुली
दुदी भाती सी म्येली
खटै सी त्येली
वा रूप वल्ली
वि देखी बजदी दिल मा
छणमण छणमण थकुली
कब दैणी ह्वैकी दिखली
अंखियु का सैंदिष्ट
वा रूप वल्ली
सुरुक ऐली सुरुक जैली
भग्यानो तै दिखली
आंदा जांदा बाटो मा
वा रूप वल्ली.................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
September 4 at 8:48am · Edited ·

मेरी औठंडियो न्युतायलि त्वैकु
बँसुली बणि ऐजा छोरी धोरा
मेरा जिकुडा लुकी माया की धुन
बनबनी अनेक तू ऐजा बस छोरी
गुंजलि बंसुली माया की फिर
चौ दिसू डांडी कांठी तू ऐजा बस छोरी
बँसुली बणि मेरी औठंडियो धोरा
पिरेम भौ बन्यु रौ सदा इन्न
मेरु तेरा परति
समझ कतामती
मी लोला मायादार की तू ऐजा बस .................शैलेन्द्र जोशी

 

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