Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 102978 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
December 14 at 4:55am ·

वो प्रेम चिठ्ठी

हम को ऐसा लगने लगा
जब से देखा हमने आप को
मिल गया मुझको मेरा कोई
आया करार इस दिल यार को
हम को ऐसा लगने लगा

अठखेली लेती है ये हवायें
याद दिलाये मेरे पहाड़ ,गांव की
आयी है चिठ्ठी बड़े दिनों बाद
मेरी प्यारी रामी बौराणी की
हम को ऐसा लगने लगा

मौसम ऐसा छाने लगा है
वो प्रेम चिठ्ठी ले आयी बहार है
खोलों इसमें क्या होगा लिखा
क्या भेजा है मेरे प्यार ने
हम को ऐसा लगने लगा

आ रही है भीनी भीनी सुगंध
मेरे उत्तराखंड मेर घर संसार की
आँखों में चित्र उभरने लगा मेरे
वो मेरे बीते दिन मेरे प्यार की
हम को ऐसा लगने लगा

हम को ऐसा लगने लगा
जब से देखा हमने आप को
मिल गया मुझको मेरा कोई
आया करार इस दिल यार को
हम को ऐसा लगने लगा

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
December 13 at 7:00am ·

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया

आँखों का वो नशा था छाया इस तरहं मन पर
उस हसीन ने मुझे जब अपने दिल से लगाया

प्रेम और मदिरा में जब भी हुयी कभी जंग है
हार ने शराब से जीत ने यार संग साथ निभाया

आज छूटा मैख़ाना मेरा टूटा अब पैमाना मेरा
बिखरे -बिखरे खयालात जब उसने संभले मेरे

आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
December 11 at 6:38am ·

वहां

बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे
उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

कदर ना की मैंने होने पर किसी की भी अब तक
उस बेफिक्री भरे आलाम को अपने से दूर हटाऊँ कैसे
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

क्यों रूठा मुझसे और कितना टूट और फुट वो गया
अपनी मस्ती में था ना सोचा उस दिल को मै भूल गया
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

कभी किवाड़ दरवाजे खिड़की बोलती थी एक संग वहां
अब सन्नाटा उस राह पगडंडी गांव में जैसे कोई सो गया
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

कुछ बिसरी याद अब तक पड़ी है उन आँखों के कोने में
इकठा करने गर जाऊं बस अपने को अब अकेला पाऊँ
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे
उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे
बिखरा पड़ा है सामान मेरा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बालकृष्ण डी ध्यानी
December 10 at 8:30am ·

दो पल ही पास मेरे

दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २
जाती हुयी सांसे मेरी
फिर एक बार मेरे साथ चल
छूटा तेरा कुछ पीछे
तू चला किधर
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

समय ही नही पास मेरे
सागरों की लहरें ना यूँ तू मचल
साहिल बुलाये अब पास मुझे
जब डूब रहा है मेरा सफर
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

रह गयी बस अब बची तमन्ना
दबी थी सीने में ना और तू धड़क
माटी के ढेर में सोया बीज पड़ा
क्यों अंकुरित होने को उसे अब भी ललक
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

मंजिल थी कंहा मेरी
और मेर कदम बहके थे किस ओर
टूटा फूटा पड़ा है कर्म मेरा
अब ना जोड़ सकेगा कोई गोंद
दो पल ही पास मेरे
आज और कल....................... २

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
    News Feed
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    3 hrs ·

    कुछ तो लिखूं

    कुछ तो लिखूं ......२
    जो ये मेरा दिल कहे
    इस फलक पर सब वो उभरे
    जो मै सोचों ये मन मेरे
    कुछ तो लिखूं ......२
    जो ये मेरा दिल कहे

    इस हरेभरे रंग को लेकर
    सब के जीवन में मै उतार लूँ
    नीले गगन के संग उड़कर
    बहती नदी का बहाव बनू
    कुछ तो लिखूं ......२
    जो ये मेरा दिल कहे

    चिड़ियों की तरह चहकूं मै
    भौरों की मै गुनगान बनू
    फूलों की मुस्कान हो मुझमें
    चाहे फिर एक पल का मै मेहमान बनू
    कुछ तो लिखूं ......२
    जो ये मेरा दिल कहे

    वो लिखता चले मुझमें उसे
    मै उस पर यूँ ही लिखता चलूँ
    गर मै कंही रोक भी गया
    मेरे अधूरे पथ पर और कोई चले
    कुछ तो लिखूं ......२
    जो ये मेरा दिल कहे

    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    — with Himanshu Bisht and 148 others.
    कुछ तो लिखूं कुछ तो लिखूं ......२ जो ये मेरा दिल कहे इस फलक पर सब वो उभरे जो मै सोचों ये मन मेरे कुछ तो लिखूं ......२ जो ये मेरा दिल कहे इस हरेभरे रंग को लेकर सब के जीवन में मै उतार लूँ नीले गगन के संग उड़कर बहती नदी का बहाव बनू कुछ तो लिखूं ......२ जो ये मेरा दिल कहे चिड़ियों की तरह चहकूं मै भौरों की मै गुनगान बनू फूलों की मुस्कान हो मुझमें चाहे फिर एक पल का मै मेहमान बनू कुछ तो लिखूं ......२ जो ये मेरा दिल कहे वो लिखता चले मुझमें उसे मै उस पर यूँ ही लिखता चलूँ गर मै कंही रोक भी गया मेरे अधूरे पथ पर और कोई चले कुछ तो लिखूं ......२ जो ये मेरा दिल कहे एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Like · · Share
        Anoop Rawat, Gokul Negi, Sanjay Naudiyal and 30 others like this.
        View 40 more comments
        बालकृष्ण डी ध्यानी सुनीता जोशी सवेरे का प्रणाम सहित धन्यवाद जी
        5 mins · Like
        Harendra Singh Nice brother so supper
        4 mins · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी संजय नौडियाल धन्यवाद जी
        4 mins · Like
        बालकृष्ण डी ध्यानी संदीप कैंतुरा उत्तराखंडी भुलु जी शुभ असीस और सुबेरा को राम राम भुलु जी
        3 mins · Like
        बालकृष्ण डी ध्यानी हरेन्द्र सिंह भाई जी धन्यवाद और शुभ प्रभात प्रणाम भाई
        3 mins · Like
        Harendra Singh Good morning brother
        1 min · Like · 1
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 18 at 12:34am · Edited ·

    स्कुल जिंदगी का

    स्कुल जिंदगी का
    यंहा किसने बनया होगा
    गम और खुशी का मेला
    यंहा किसने लगाया होगा
    स्कुल जिंदगी का..........................

    आँखों को किसने
    यंहा देखना सिखाया होगा
    पैरों को जीवन पथ पर
    किसने चलना सिखाया होगा
    स्कुल जिंदगी का..........................

    साँसों की लय पर
    जंहा धड़कन नाचती हो जी
    उस सीने की बढ़ती घटती रफ़्तार को
    किसने धड़काया होगा
    स्कुल जिंदगी का..........................

    हाथों को कैसे पता चला जी
    किसको गले लगाना है
    चेहरे को कैसे मालुम हुआ
    किस से शरमाना,लजाना है
    स्कुल जिंदगी का..........................

    जीवन मरण के इस खेल को
    किसने यंहा बिछाया होगा
    पाप पुण्य के इस भेद को
    कौन यंहा समझ पाया होगा
    स्कुल जिंदगी का..........................

    स्कुल जिंदगी का
    यंहा किसने बनया होगा
    गम और खुशी का मेला
    यंहा किसने लगाया होगा
    स्कुल जिंदगी का..........................

    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    स्कुल जिंदगी का स्कुल जिंदगी का यंहा किसने बनया होगा गम और खुशी का मेला यंहा किसने लगाया होगा स्कुल जिंदगी का.......................... आँखों को किसने यंहा देखना सिखाया होगा पैरों को जीवन पथ पर किसने चलना सिखाया होगा स्कुल जिंदगी का.......................... साँसों की लय पर जंहा धड़कन नाचती हो जी उस सीने की बढ़ती घटती रफ़्तार को किसने धड़काया होगा स्कुल जिंदगी का.......................... हाथों को कैसे पता चला जी किसको गले लगाना है चेहरे को कैसे मालुम हुआ किस से शरमाना,लजाना है स्कुल जिंदगी का.......................... जीवन मरण के इस खेल को किसने यंहा बिछाया होगा पाप पुण्य के इस भेद को कौन यंहा समझ पाया होगा स्कुल जिंदगी का.......................... स्कुल जिंदगी का यंहा किसने बनया होगा गम और खुशी का मेला यंहा किसने लगाया होगा स्कुल जिंदगी का.......................... एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Like · · Share
        Kiran Kainthola, Khyali Ram Joshi, Anoop Rawat and 74 others like this.
        1 share
        View 36 more comments
        Rakhi Dobriyal Jakhwal Bheji...bht sundr...
        December 18 at 11:53am · Like · 2
        Anand Singh Rawat bahut sunder dhyani ji
        December 18 at 1:20pm · Like · 2
        Yogambar Rawat लाजवाब.
        December 18 at 3:32pm · Like · 2
        बालकृष्ण डी ध्यानी आप सब का धन्यवाद मित्रों स्नेह के लिये दिल की आवाज दिल तक जरूर पहुँचती है … जय उत्तराखंड
        9 hrs · Like
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    News Feed
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 16 · Edited ·
    ·

    मेरे शब्द

    मेरे शब्द
    मेरी आवाज बन जा
    मन के घेरे से उड़
    और आकश बन जा

    मेरे शब्द
    मेरी कलम पर सवार हो जा
    ले अश्व का वेग
    इस पन्ने पर निसार हो जा

    मेरे शब्द
    करूँ साक्षात्कार तेरा
    विचार विमर्श हो
    और बड़े आदान प्रदान तेरा

    मेरे शब्द
    क्यों छटपट रहा है
    अकेले में बैठा बैठा
    क्यों तू बड़बड़ा रहा है

    मेरे शब्द
    मेरी पहचान बन जा
    ना कर बेगाना मुझको
    ना मुझे यूँ बेजुबान कर जा

    मेरे शब्द
    तू मुझ में यूँ ना खोजा
    एक कोने में रहकर
    तू यूँ अकेला ना सो जा

    मेरे शब्द !!!

    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    मेरे शब्द मेरे शब्द मेरी आवाज बन जा मन के घेरे से उड़ और आकश बन जा मेरे शब्द मेरी कलम पर सवार हो जा ले अश्व का वेग इस पन्ने पर निसार हो जा मेरे शब्द करूँ साक्षात्कार तेरा विचार विमर्श हो और बड़े आदान प्रदान तेरा मेरे शब्द क्यों छटपट रहा है अकेले में बैठा बैठा क्यों तू बड़बड़ा रहा है मेरे शब्द मेरी पहचान बन जा ना कर बेगाना मुझको ना मुझे यूँ बेजुबान कर जा मेरे शब्द तू मुझ में यूँ ना खोजा एक कोने में रहकर तू यूँ अकेला ना सो जा मेरे शब्द !!! एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Like · · Share
        Geeta Chandola, Madan Mohan Bisht, Vandana Bhatt Sharma and 105 others like this.
        1 share
        4 of 60
        View previous comments
        प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल सुन्दरशुभम
        December 18 at 8:20am · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी मन्नू रावत भुलु जी धनबाद जी
        December 18 at 9:10am · Like
        बालकृष्ण डी ध्यानी पुंडीर भाई जी शुभ प्रभात जी
        December 18 at 9:10am · Like
        बालकृष्ण डी ध्यानी प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल गुरुवर शुभ प्रभात प्रणाम जी
        December 18 at 9:11am · Like
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 14 at 4:55am ·

    वो प्रेम चिठ्ठी

    हम को ऐसा लगने लगा
    जब से देखा हमने आप को
    मिल गया मुझको मेरा कोई
    आया करार इस दिल यार को
    हम को ऐसा लगने लगा

    अठखेली लेती है ये हवायें
    याद दिलाये मेरे पहाड़ ,गांव की
    आयी है चिठ्ठी बड़े दिनों बाद
    मेरी प्यारी रामी बौराणी की
    हम को ऐसा लगने लगा

    मौसम ऐसा छाने लगा है
    वो प्रेम चिठ्ठी ले आयी बहार है
    खोलों इसमें क्या होगा लिखा
    क्या भेजा है मेरे प्यार ने
    हम को ऐसा लगने लगा

    आ रही है भीनी भीनी सुगंध
    मेरे उत्तराखंड मेर घर संसार की
    आँखों में चित्र उभरने लगा मेरे
    वो मेरे बीते दिन मेरे प्यार की
    हम को ऐसा लगने लगा

    हम को ऐसा लगने लगा
    जब से देखा हमने आप को
    मिल गया मुझको मेरा कोई
    आया करार इस दिल यार को
    हम को ऐसा लगने लगा

    एक उत्तराखंडी
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    वो प्रेम चिठ्ठी हम को ऐसा लगने लगा जब से देखा हमने आप को मिल गया मुझको मेरा कोई आया करार इस दिल यार को हम को ऐसा लगने लगा अठखेली लेती है ये हवायें याद दिलाये मेरे पहाड़ ,गांव की आयी है चिठ्ठी बड़े दिनों बाद मेरी प्यारी रामी बौराणी की हम को ऐसा लगने लगा मौसम ऐसा छाने लगा है वो प्रेम चिठ्ठी ले आयी बहार है खोलों इसमें क्या होगा लिखा क्या भेजा है मेरे प्यार ने हम को ऐसा लगने लगा आ रही है भीनी भीनी सुगंध मेरे उत्तराखंड मेर घर संसार की आँखों में चित्र उभरने लगा मेरे वो मेरे बीते दिन मेरे प्यार की हम को ऐसा लगने लगा हम को ऐसा लगने लगा जब से देखा हमने आप को मिल गया मुझको मेरा कोई आया करार इस दिल यार को हम को ऐसा लगने लगा एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Like · · Share
        Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna, Vikas Dhyani, Anoop Rawat and 85 others like this.
        View 39 more comments
        Pancham Singh Rawat jai badari vishal, sunder .
        December 16 at 9:14am · Like · 1
        Brij Mohan Naithani Bahut Sundar
        December 16 at 1:03pm · Like · 1
        Ashok Kumar Vishwakarma वाह्ह भाई जी... बहुत सुन्दर...
        December 16 at 8:22pm · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी आप सब का धन्यवाद मित्रों स्नेह के लिये दिल की आवाज दिल तक जरूर पहुँचती है … जय उत्तराखंड
        December 16 at 10:28pm · Like · 1
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 13 at 7:00am ·

    आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया

    आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
    उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया

    आँखों का वो नशा था छाया इस तरहं मन पर
    उस हसीन ने मुझे जब अपने दिल से लगाया

    प्रेम और मदिरा में जब भी हुयी कभी जंग है
    हार ने शराब से जीत ने यार संग साथ निभाया

    आज छूटा मैख़ाना मेरा टूटा अब पैमाना मेरा
    बिखरे -बिखरे खयालात जब उसने संभले मेरे

    आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया
    उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया


    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया आँखों का वो नशा था छाया इस तरहं मन पर उस हसीन ने मुझे जब अपने दिल से लगाया प्रेम और मदिरा में जब भी हुयी कभी जंग है हार ने शराब से जीत ने यार संग साथ निभाया आज छूटा मैख़ाना मेरा टूटा अब पैमाना मेरा बिखरे -बिखरे खयालात जब उसने संभले मेरे आज पी भी ना थी फिर भी लड़खड़ा मैं गया उस हसीन ने मुझे आज जब जमकर पिलाया एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Unlike · · Share
        You, Manju Singh, Kiran Kainthola, Anoop Rawat and 82 others like this.
        View 41 more comments
        Brij Mohan Naithani क्‍या गजब बात कही आपने सर
        December 13 at 1:21pm · Like · 1
        Netra Dhyani Bhaiji namaskar . Har subject may aapki paked jabardast hai.
        December 13 at 2:15pm · Like · 1
        Vijaya Pant Tuli Mountaineer पर मुझे कुछ समझ न आया -- हा हा
        December 13 at 5:56pm · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी आप सब का धन्यवाद मित्रों स्नेह के लिये दिल की आवाज दिल तक जरूर पहुँचती है … जय उत्तराखंड
        December 13 at 10:43pm · Like
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...

    Friends
    · 1,010 (218 Mutual)
        राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
        देवसिंह रावत
        Sanand Rawat
        Jagdish Rawat J D
        Soban Singh
        Shishpal Doriyal
        Nandan Rana
        Bijay Nand Dobhal
        Yashpal Singh Pundir
    Photos
    · 502
    मेरे साले प्रदीप ओमप्रकाश बर्थवाल और भूली राजेश्वरी प्रदीप बर्थवाल को आज कन्या रत्न प्राप्ता हुआ है उनको मेरी तरफ से बधाई और छोटी जिसको मैंने नाम दिया संजीवनी प्रदीप बर्थवाल को बहुत सारा आशीर्वाद और ढेर सारा प्यार
       
    [अपनी मित्र सूची में और आपको पढ़ते हुए आपका नाम हिन्दी में लिखा देख पढ़ गौरंविंत महसूस करता हूँ ] 'अशोक कुमार सहनी' आशुतोष बड़थ्वाल लता देवेन्द्र बड़थ्वाल 'गोपाल सिंह बिष्ट' बिष्ट' डॉ. पुष्पा जोशी 'गोपाल सिंह बिष्ट' बिष्ट' सुशीला श्योराण सुमन वर्मा दिनेश मिश्र सुनीता पुष्पराज पान्डेय अंजना चौहान सिंह अतुल शर्मा अतुल सती अक्स अनंत बड़थ्वाल अनीता नेगी पटवाल अनुपम 'ध्यानी' अनुपम बहुगुणा अनूप पोखरियाल कोटद्वार अनूप सिंह नेगी अमित बडथ्वाल अमित सिंह अरविन्द भारद्वाज योगी अरुणा सक्सेना अर्चना ठाकुर अलका गुप्ता अवधेश जौहरी अवनीश डबराल अवनीश मोहन अविनाश वाचस्पति मुन्नाभाई अशोक नौटियाल अशोक राठी अशोक सुयाल अनुमुन अस्तित्व एक खोज आचार्य उमाशंकर सिंह परमार आनंद कुनियाल आनन्द सकलानी आशीष नैथाऩी 'सलिल' इंदिरा शैली डिमरी इन्द्र सिंह नेगी उदय ममगाईं राठी उपेन्द्र जोशी उषा रतूड़ी शर्मा उषा वीरेश भानप एस.एस. रेबासी पहाड़ो कु कंडवाल मोहन मदन कन्हैया रतूरी कमलेश्वर कोठियाल कल्पना बहुगुणा कवि बलदाऊ गोस्वामी किरण आर्य किशन बडथ्वाल किशोर बड़थ्वाल कुन्दन कुल्याल कुसुम शर्मा केदार जोशी एक भारतीय केशव बड़थ्वाल कैलाश चन्द्र डंडरियाल कोमल सोनी कौशल उप्रेती गणतु पुच्छ्यारा गीता पंडित चन्दन सिंह गुसाईं चन्द्र मोहन चन्द्र मोहन सिंगला 'चन्दर' चन्द्रशेखर करगेती चन्द्रशेखर चौधरी चेतन रामकिशन जगदीश पांडेय जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु जयंती प्रसाद डिमरी जितेन्द्र खन्तवाल जुगल किशोर शर्मा ज्योत्स्ना शर्मा डिम्पल महारा 'अर्शमन' डॉ आशुतोष वाजपेयी डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी डॉ. राज सक्सेना डॉ. सरोज गुप्ता डॉ. सुनीता डॉ. हीरालाल प्रजापति डॉली अग्रवाल तनहा अजमेरी तरुण पन्त तलाश जारी है तेज सिंह भंडारी दिनकर बडथ्वाल दिनेश नयाल दीपक अरोड़ा दीपक पोखरियाल दीपक सिन्धवाल देवराज शर्मा देवसिंह रावत देवेन्द्र प्रसाद बड़थ्वाल धंनजय मिश्रा धर्म सिंह बुटोला नवीन जोशी नवीन पोखरियाल निखिल उत्तराखंडी निर्मलकांत विद्रोही निर्मला नेगी 'पहाडी' निर्मला बडथ्वाल नीरज कुकरेती नीरज डंगवाल नीलकमल वैष्णव अनिश नूतन डिमरी गैरोला नैनी ग्रोवर पं. भास्कर जोशी पं. रविकाँत'ओम' त्रिपाठी पंकज उनियाल रावत पंडित प्रमोद बडथ्वाल पवन जैन पारुल सिंह पुष्कर बिष्ट पूनम नैथानी पूर्णानंद भट्ट प्रकाश काला प्रकाश चन्द्र करगेती प्रजापति शेष प्रदीप गुप्ता प्रदीप जुयाल प्रभा मित्तल प्रयाग पाण्डे प्रवीण जैन प्रियव्रत भट्ट प्रीत काला प्रो. मृदुला जुगरान प्रो. विश्वम्भर शुक्ल बड्थ्वाल विनय बलबीर राणा बालकृष्ण डी ध्यानी बालाजी साहनी बृजराजसिंह रावत ब्रह्माणी 'वीणा' हिन्दी साहित्यकार भगवान सिंह जयाड़ा भगवान स्वरुप सैनी भारत सेवा संस्थान कोटद्वार भाष्करानंद बहुगुणा भुवनेश कुमार भूषण लाम्बा मधुली देवी मनमोहन डिमरी मनी नमन तिवारी मनीष गोर्ला रावत मनोज जोशी मनोज सिंह बिष्ट मनोरथ कोठारी ममता जोशी महेंद्र वर्मा महेन्द्र सिंह राणा माधुरी रावत मीनाक्षी कपूर मीनू मुकेश ढौंडियाल मृत्युञ्जय पोखरियाल 'हिमांशु' मृदुला शुक्ला मोहनसिंह रावत गांववासी यदु जोशी रघु स्वामी रजनीश के झा राजीव नैथानी राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' रावत रमेश सिंह राहुल देव रोहिणी शैलेन्द्र नेगी रोहित गैरोला रौशन कुमार मिश्रा वंदना ठाकुर वसुन्धरा पाण्डेय विकाश प्रयास बडथ्वाल विकास बडथ्वाल विकास बडथ्वाल विनय मेहता विनोद कुलियाल विनोद भगत विनोद भगत विनोद सिंह गड़िया विपुल बडथ्वाल विशाल अग्रवाल शशिकांत गीते शिव देशवाल शैलेन्द्र सिंह नेगी श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' श्रीप्रकाश डिमरी श्रीमती राकेश संगीता संजय डबराल सचिन बडथ्वाल सच्चिदानंद शर्मा संजय कटारिया संजय कुमार गिरि संजीव बौडाई सतीश आहुजा सतेन्द्र रावत संदीप थपलियाल सरिता भाटिया सावित्री काला सवि सुदन बडथ्वाल सुनील कुमार सुनील जोशी सुन्दर मणि कुकरेती सुमन रंजन सुरजीत कुमार कुँवर सुरेन्द्र दत्त बड़थ्वाल सुशील गैरोला सुशील जोशी सुषमा नैथानी सूरज कपरुवान सूरज सिंह बिष्ट सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी सोनिया गौड़ हरि शर्मा हिमांशु करगेती हिमाँशु पुरोहित सुमाईयां हुक्का बू हेमन्त बडथ्वाल
       
    आदरणीय प्रधानमंत्री जी यह पत्र २०१२ में हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर लिखा गया जिसमे चंद शब्दों में हिन्दी ने अपनी व्यथा को साँझा किया था. हाँ यह पत्र फेसबुक के साथियों के लिए लिखा गया था लेकिन दर्द की टीस तो सभी हिंदी प्रेमियों के मन में है ही. १६वी लोकसभा में आपके और कई सांसदों द्वारा हिन्दी प्रेम को देखकर एक उम्मीद जगी है कि हिन्दी को देश में खोया मान वापिस मिलेगा और राष्ट्र भाषा जैसा सम्मान उसके सर पर सजेगा. प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल एक हिन्दी प्रेमी
    यदि आपको, आपके कार्यालय से दस दिवस का ग्रीष्म अवकाश घोषित हो . आप कहाँ जाना पसंद करेंगे .... 1.उत्तराखण्ड 2. मुम्बई 3. गोवा 4. बिहार
       
    किन्गोडा का कांडा बल किन्गोडा का कांडा .. किन्गोडा का कांडा बल किन्गोडा का कांडा .. चदरी उडी -उडी पोहुची खैरालिंगा का डांडा खैरालिंगा का डांडा .............. तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
       
    तेरा गीत सुणी मन मेरो उड़ी रही तू बजांदु मीठी बाँसुरी तेरा खोज देख मैं कख पहुची गी एक उत्तराखण्ड की फिल्म " गीत " आप अवश्य देखें एडमिन : कुम्मी घिल्डियाल
    लुकी छुपी डरी डरी की, मन मा सांस भरी कि, त्वे मिल्णु आयुं छौं सौ श्रींगार करी की रूण-झूण बरखा की झड़ी मा,सौणा भादों कि कुयेड़ी मा॥ ऐजा रे गैल्या ऐजा लुकी छुपी डरी डरी की, मन मा सांस भरी कि, त्वे मिल्णु आयुं छौं गाड गदन्या तरी कि, रूण-झूण बरखा की झड़ी मा सौणा भादों कि कुयेड़ी मा॥ ऐजा हे गैल्या ऐजा
       
    गमले में खिलते फूल को हँसते देख कर गमले में खिलते फूल को हँसते देख कर कुछ यूँ शब्द उभरे हैं टेहरी की झील के तल में दबे दबे मेरे अहसास अब भी बाकी हैं एक आधे वक्र में घिरा वो घेरा बंधा रखा उसने मेरा अति वेग हजारों अश्व ऊर्जा संचारित कर अंतर मन क्यों शून्य विहीन पल पल रिक्त होता पल हर पल बन जाता वो एक नया कल मेरा बिता कल आने वाला कल क्यों लगता पर एक समान बीते दिनों की बस स्मृतियाँ बाकी रह गयी है अंकित मन में आने वाले दिनों में वर्तमान के खाली पलों को देख वो डर रहा है गमले में खिलते फूल को हँसते देख कर कुछ यूँ शब्द उभरे हैं टेहरी की झील के तल में दबे दबे मेरे अहसास अब भी बाकी हैं एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित #dhyani
       
    ~ प्रधानमंत्री मोदी ~ कब किसने सोचा था लोकतंत्र के मंदिर में कोई शीश झुकाएगा किसने सोचा था पाकर प्रेम अपने नेता का वह भावुक हो जाएगा सबको लेकर साथ, एक भारत और श्रेष्ठ भारत है जिसकी चाह संस्कृति और संस्कार का पुजारी, चल पड़ा है अब विकास की राह कर प्रणाम आजादी के सपूतो को, किया जनभावना को सलाम द्वेष भाव की नीति नही,जाति धर्म से अलग कर्म का दिया पैगाम विरोधियो को पछाड़ा लेकिन जनमानस को आपने है सर्वोपरि माना मोदी जी कर्म आपका उद्देश्य, शुभकामनाए है अभी तो मीलो है जाना
    Apps and Games
    · 1
    Stick Cricket
    Notes
    · 4
        अब भी !!! ***** दिनांक ०१/०८/२०१४ ****** भाग १/१००
        By बालकृष्ण डी ध्यानी · about 5 months ago
        अब भी !!!       दिनांक ०१/०८/२०१४      भाग १/१००      बस इतना ही काफी है  अब भी !!!     सुबह की भोर , दिन की धुप या फिर रात की तड़प कुछ कह जाती है जाते जाते नये रंग  नये रूप नये संग के लिये वो अब भी आत
        14
        हिंदी दिवस
        By बालकृष्ण डी ध्यानी · over a year ago
        हिंदी दिवस मनाये और कल हम इसे भुल जायें चलो आज हम हिंदी दिवस मनाये मनाये और कल हम इसे भुल जायें गुल सा उसे हम मिलकर खिलायें मुरझा ये तो हम उसे भुल जायें चलो आज हम हिंदी दिवस मनाये राष्ट्रभाषा का ये हर
        1
    Recent Activity
    बालकृष्ण डी ध्यानी listened to Party With The Bhoothnath by Yo Yo Honey Singh on...
    बालकृष्ण is now friends with Harendra Singh and 9 other people.
    बालकृष्ण likes Hema Negi Karasi U.K folk singer.
    English (US) · Privacy · Terms · Cookies ·
    More
    Facebook © 2014

Earlier in 2014
Highlights
Earlier in 2014

    News Feed
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 11 at 6:38am ·

    वहां

    बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे
    उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    कदर ना की मैंने होने पर किसी की भी अब तक
    उस बेफिक्री भरे आलाम को अपने से दूर हटाऊँ कैसे
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    क्यों रूठा मुझसे और कितना टूट और फुट वो गया
    अपनी मस्ती में था ना सोचा उस दिल को मै भूल गया
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    कभी किवाड़ दरवाजे खिड़की बोलती थी एक संग वहां
    अब सन्नाटा उस राह पगडंडी गांव में जैसे कोई सो गया
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    कुछ बिसरी याद अब तक पड़ी है उन आँखों के कोने में
    इकठा करने गर जाऊं बस अपने को अब अकेला पाऊँ
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे
    उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे
    बिखरा पड़ा है सामान मेरा

    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    वहां बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे बिखरा पड़ा है सामान मेरा कदर ना की मैंने होने पर किसी की भी अब तक उस बेफिक्री भरे आलाम को अपने से दूर हटाऊँ कैसे बिखरा पड़ा है सामान मेरा क्यों रूठा मुझसे और कितना टूट और फुट वो गया अपनी मस्ती में था ना सोचा उस दिल को मै भूल गया बिखरा पड़ा है सामान मेरा कभी किवाड़ दरवाजे खिड़की बोलती थी एक संग वहां अब सन्नाटा उस राह पगडंडी गांव में जैसे कोई सो गया बिखरा पड़ा है सामान मेरा कुछ बिसरी याद अब तक पड़ी है उन आँखों के कोने में इकठा करने गर जाऊं बस अपने को अब अकेला पाऊँ बिखरा पड़ा है सामान मेरा बिखरा पड़ा है सामान मेरा अब उसे संभालू कैसे उठकर जो कदम चले मेरे उसे मंजिल तक ले जाऊं कैसे बिखरा पड़ा है सामान मेरा एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Unlike · · Share
        You, Vikas Dhyani, Anoop Rawat, Mahesh Chandra Joshi and 111 others like this.
        4 of 52
        View previous comments
        Sandeep Rana sundar
        December 11 at 7:24pm · Like · 1
        Mahi Singh Mehta bahut badiya bhai g
        December 11 at 10:30pm · Like · 1
        Vijay Negi great
        December 12 at 2:02pm · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी आप सब का धन्यवाद मित्रों स्नेह के लिये दिल की आवाज दिल तक जरूर पहुँचती है … जय उत्तराखंड
        December 12 at 10:43pm · Like · 1
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 10 at 8:30am ·

    दो पल ही पास मेरे

    दो पल ही पास मेरे
    आज और कल....................... २
    जाती हुयी सांसे मेरी
    फिर एक बार मेरे साथ चल
    छूटा तेरा कुछ पीछे
    तू चला किधर
    दो पल ही पास मेरे
    आज और कल....................... २

    समय ही नही पास मेरे
    सागरों की लहरें ना यूँ तू मचल
    साहिल बुलाये अब पास मुझे
    जब डूब रहा है मेरा सफर
    दो पल ही पास मेरे
    आज और कल....................... २

    रह गयी बस अब बची तमन्ना
    दबी थी सीने में ना और तू धड़क
    माटी के ढेर में सोया बीज पड़ा
    क्यों अंकुरित होने को उसे अब भी ललक
    दो पल ही पास मेरे
    आज और कल....................... २

    मंजिल थी कंहा मेरी
    और मेर कदम बहके थे किस ओर
    टूटा फूटा पड़ा है कर्म मेरा
    अब ना जोड़ सकेगा कोई गोंद
    दो पल ही पास मेरे
    आज और कल....................... २

    एक उत्तराखंडी
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    दो पल ही पास मेरे दो पल ही पास मेरे आज और कल....................... २ जाती हुयी सांसे मेरी फिर एक बार मेरे साथ चल छूटा तेरा कुछ पीछे तू चला किधर दो पल ही पास मेरे आज और कल....................... २ समय ही नही पास मेरे सागरों की लहरें ना यूँ तू मचल साहिल बुलाये अब पास मुझे जब डूब रहा है मेरा सफर दो पल ही पास मेरे आज और कल....................... २ रह गयी बस अब बची तमन्ना दबी थी सीने में ना और तू धड़क माटी के ढेर में सोया बीज पड़ा क्यों अंकुरित होने को उसे अब भी ललक दो पल ही पास मेरे आज और कल....................... २ मंजिल थी कंहा मेरी और मेर कदम बहके थे किस ओर टूटा फूटा पड़ा है कर्म मेरा अब ना जोड़ सकेगा कोई गोंद दो पल ही पास मेरे आज और कल....................... २ एक उत्तराखंडी बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
    Unlike · · Share
        You, Kiran Kainthola, Vikas Dhyani, Anoop Rawat and 82 others like this.
        2 shares
        View 42 more comments
        बालकृष्ण डी ध्यानी नंदन राणा भाई जी शुभ प्रभात और धन्यवाद जी
        December 11 at 7:03am · Like
        Mannu Rawat नमस्कार भैजी,,,,।। बहुत सुंदर भैजी।
        December 11 at 8:49am · Like · 1
        बालकृष्ण डी ध्यानी मन्नू रावत भुलु शुभ असीस और शुभ प्रभात जी
        December 11 at 8:52am · Like · 1
        Mannu Rawat शुभ प्रभात भैजी।
        December 11 at 8:53am · Like · 1
        Mahi Singh Mehta
        Write a comment...
    बालकृष्ण डी ध्यानी
    December 7 at 8:06am ·

    मेरे पास इतना ही था

    मेरे पास इतना ही था
    बस जितना ये नीला अंबर है
    धरती सुनहरी मौसम रंगीला और
    सुनहरी किरणों का बस जितना संग है
    मेरे पास इतना ही था
    बस जितना ये नीला अंबर है ……

    खुली बाहों में भर लों इसे जरा
    ये पहाड़ है जो मेरा उत्तराखंड है
    सोच इसे किसने बनाया होगा
    किसकी कल्पना ने भरा ये रंग है
    कितने रंगों में ये रंगा है
    बस जितना ये नीला अंबर है ……

    आ जाओ इसके आँचल में जरा
    इसकी ममता का देखो कितना बड़ा मन है
    अचल है वो कितने चल विचल से गत
    फिर भी शांत है वो अपने अस्त से मस्त है
    झूम रे चूम रे ये तो मेरा स्वर्ग है
    बस जितना ये नीला अंबर है …….

    हम बच्चे हैं इसकी संतान
    ये मेरा नदी,पेड़ आकाश उड़ते पक्षियों का झुंड है
    यही मेरा घर ये मेरी आन बान शान
    मै पहाड़ी हूँ और ये मेरी पहचान
    नत मत्सक हूँ मै आके तू भी देख ले मेरा जंहा
    बस जितना ये नीला अंबर है ………

    एक उत्तराखंडी

    बालकृष्ण डी ध्यानी
    देवभूमि बद्री-केदारनाथ
    मेरा ब्लोग्स
    http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
    में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
December 13 at 2:00am · Edited ·

अपरा पाड़ों मा ह्युंद पोड़ी गे होलू

अपरा पाड़ों मा ह्युंद पोड़ी गे होलू
कै कोयेडु कै कुल्हण वो घाम लुकियूं होलू

डंडा धारा घार दार सब गरठियुं होलू
जदु दगडी सबी कु कामकाज थमी होलू

टैम टेबल हर्ची हर्ची सुबेर ब्योखोन होलू
आग तपदा तपदा छूईं मा बेल हर्ची गै होलू

नींदि नि सबी थे अपरू अंग्वाल लेलीं होलू
मेरु पाड़ा सन्कुली निरजक सै गै होलू

अपरा पाड़ों मा ह्युंद पोड़ी गे होलू
कै कोयेडु कै कुल्हण वो घाम लुकियूं होलू

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
December 9 · Edited ·
·

जब से देखी तेरी मुखडी

जब से देखी तेरी मुखडी
मा वा जून की जुन्याली
अंधारू उजाळु व्है जांदी
जब वा आपरी नजरि मिलांदी
जब से देखी तेरी मुखडी

माया इनि लगोंदी छुची
आँखों दगडी वा इनि ब्चांदी
दन्त पंक्ति हैंसी देख्दा देख्दा
विं ग्लोडी ये दिल लुची जांदी
जब से देखी तेरी मुखडी

बांदों मा की बांद छे या
सरगा बाटू ऐ क्वी तू अछेरी
मी बना दे अपरू जीतू बग्वाल
मेर बांसुरी व्हैगे अब से तेरी
जब से देखी तेरी मुखडी

क्या क्या जतन करू मी
कण कणके ते थे मी मनेऊ
कब तेरी मया व्हाली मेरी
दिन राती तेरा सुप्निया सजेऊँ
जब से देखी तेरी मुखडी

जब से देखी तेरी मुखडी
मा वा जून की जुन्याली
अंधारू उजाळु व्है जांदी
जब वा आपरी नजरि मिलांदी
जब से देखी तेरी मुखडी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
खुद लगींच च ये घारा की

कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की
ये कुमो गढ़वाल की
यूँ चलूँ ह्युंद जम्युं पहाड़ की
कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की ……

तिबरी डांड्याला की
चौक छनि ग्वैरा स्यारा की
कन के गुजरी हुलु कन व्हालु वों कु हाल
गुजरी गे व्हालु अब बस्ग्याल
ऐ बार बी ऐच ये ख्याल ये पहाड़ की
कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की ……

घुघती घूर घुर वो हिलांस उडी आकास की
काफल किन्गोड़ा चख्या बेडू पाको बारा मासा की
कौथिक कु बारा तिज-तियोहरा की
कैल कैल कै हुलु मी याद
ऐ बार बी ऐच ये ख्याल ये पहाड़ की
कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की ……

चैत की ऐगे छैगे वाह्ली ब्यार
स्वामी आणा वहला सब का छूटी मा घार
फागुन मची वाहली हुलयार
मेर गलुडी थे कु रांगाल
ऐ बार बी ऐच ये ख्याल ये पहाड़ की
कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की ……

कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की
ये कुमो गढ़वाल की
यूँ चलूँ ह्युंद जम्युं पहाड़ की
कब जोंलु भुलु मी घार
खुद लगींच च ये घारा की ……

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
December 20 at 9:07am ·

मिल जबै मीथै खोजी

मिल जबै मीथै खोजी
मी नी मिल मीथैई क्ख्क भी
कै बाटा मी हर्ची गयुं
खवैगे मेर लिखे वा पर्ची
मिल जबै मीथै खोजी ………

रै मी अपरी पास सदनी
अपरा थे भी नि मी जाणा पाई
कमै मिल खुभ ये टक्का
पर वोंको मोल भी नि मी जाणा पाई
मिल जबै मीथै खोजी ………

जीकोडी कण तेर दुकदुकी रे
अपरुँ दगडी भी तू नि रै पाई
रै सदनी ये सरीर भित्रा भितर
एक बेल तू भी कैगे मीथे बिराणि
मिल जबै मीथै खोजी ………

अब मिली त किले मिली मीथै
जब सब ध्यणी व्हैगै हैंक कैकि
जल्म मेरु इनि फुंड तू खती गैई
हाक मारू त मारू अब क्ख्क मी
मिल जबै मीथै खोजी ………

मिल जबै मीथै खोजी
मी नी मिल मीथैई क्ख्क भी
कै बाटा मी हर्ची गयुं
खवैगे मेर लिखे वा पर्ची
मिल जबै मीथै खोजी ………

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी 

गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की

रडदा मनख्यूं की हेरदा अंन्ख्युं की
हरच दा अपरुँ की डुब दा दाणियों की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

आँखों माया की टक्कों काया की
धैये लगै गिची की बाटा हेटे खुठी की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

बैयठला पहड़ों की न्हना घारों की
बिस्या दा गद्नियुं की उजाडया सारियूं की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

बांदर सुंघरूं की उत्त्पात गुलदारों की
भूकी पोट्गी की हर्ची गे कुछैलि की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

सीं सरकार की बिसरी राजधानी की
वों शहीदों की ये मेरा उत्तराखंड की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

अखरा दा विकासा की टूट दा धागा की
बुज्दा विस्वास की वै आत्म साथा की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २

रडदा मनख्यूं की हेरदा अंन्ख्युं की
हरच दा अपरुँ की डुब दा दाणियों की
गीत गानू मी ये बाँझ डण्डों की.... २


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22