श्री सिद्धबली जी की आरती |
श्री सिद्धबली जी की आरती गायें, ऋषि मुनि और साधुजन |
जलत, अगर, कपूर, बाटी, ध्यान करते भक्त जन ||
श्री सिद्धबली जी .............................
पल्लवित पुष्पित है आँगन, मंद-मंद शीतल पवन |
खोह वापल चरणों में बहती, द्वारपाल है गिरिवन ||
श्री सिद्धबली जी .............................
देत दीन दुखी को सुख, अरु देत निर्धन को धन |
हम पर भी धरो बाबा, अपनी करुना के नयन ||
श्री सिद्धबली जी .............................
किया पर्वतों पर जप तप, हुई तपस्या तब अखंड |
भये प्रकट बजरंग बली जी, बाबा जी पर अति प्रस्सन ||
श्री सिद्धबली जी .............................
तुमको शोभित त्रिशूल संगल, गूंजत शंखों से गगन |
आठों पहर प्रचंड बाबा, तेरी धूनी सदा अखंड ||
श्री सिद्धबली जी .............................
शक्तिदाता हो तुम बाबा, तेज आपका अति प्रचंड |
डाकिनी-शाकिनी पिशाच को, देते बाबा तुम्ही दंड ||
श्री सिद्धबली जी .............................
नित्य धावे आरती गावें, सेवक आपका खल "महंत" |
भेली गुड का करे जो अर्पण, देते बाबा उनको धन ||
श्री सिद्धबली जी
(source-http://www.sidhbalidham.org)