कहा जाता है की एक समय कुछ चोर माता के मन्दिर से उनकी अष्ट धातु की प्रतिमा चुराने गए पूरी प्रतिमा तो वे नही चुरा पाए परन्तु देवी का एक हाथ वे चुरा कर ले गए बहुत दूर चलने के बाद वे थक गए जब वे विश्राम करके उठे तो वे देवी के उस हाथ को नही उठा सके ,तब तक भोर हो चुकी थी किसी को पता चलने के डर से वे उसे वही छोड़ कर भाग गए बाद में स्थानीय लोगो ने वह पर माता मानिला के मन्दिर की स्थापना की ,
आज यह शक्तिपीठ मल्ला मनीला के नाम से जाना जाता है माता मानिला का प्राचीन शक्तिपीठ तल्ला मनीला नामक गाँव में है जिसे तल्ला मानिला माता शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है यह मल्ला मानिला माता शक्तिपीठ से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है देवदार, चीड बाँज व बुरांस के जंगलो के बीच यह मन्दिर वास्तव में अनुपम है अनेको बुगयालो के बीच यह शक्तिपीठ देख कर आत्मा को चिर आनंद की अनुभूति होती है तथा माता के दर्शन पा कर भक्तगण मन की शान्ति व आशीष पाने का अनुभव करते है