बचपन में हम लोग फुटबाल, क्रिकेट जैसे सामान्य खेल तो खेलते ही थे. इसके अलावा पिड्डू, ठिणि-बाल्लि (गुल्ली-डण्डा), आइस-पाइस, धप्पी, विष-अम्रत जैसे खेलों में भी काफी रुचि लेते थे. (तब दूरदर्शन का प्रयोग "रामायण" देखने और समाचार सुनने तक ही सीमित था.)
पिड्डू में एक मुलायम गेंद (जुराब में पुराने कपडे भर कर) बनायी जाती है. एक टीम १२-१४ पत्थरों को गेंद से गिरा कर दुबारा उन्हेफ एक के ऊपर एक रखने की कोशिश करती है. इस बीच उन्हें दूसरी टीम द्वारा किये जा रहे बाल के प्रहार से बचना होता है. फसल कट्ने के बाद सीढीदार खेतों में इस खेल को खेलने का अलग ही मजा है.